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जीवन की कठिनाईयों को सरलता में बदलते हैं हनुमानजी
जीवन प्रबंधन गुरू पं. विजयशंकर मेहता का का प्रेरक उद्बोधन
इंदौर. रिश्ते परिवार की पूंजी और सामाजिक जीवन की बुनियाद होते हैं. रिश्ते बनाना और उन्हें निभाते हुए बचाए रखना ही आज के दौर की सबसे बड़ी चुनौती हो गई है. यह एक ऐसा कठिन काम है, जो हर सामाजिक और पारिवारिक व्यक्ति को करना ही पड़ता है. इस कठिनाई को सरलता में बदल देने का एकमात्र माध्यम है हनुमानजी. वास्तव में हनुमानजी परिवार के देवता हैं जिनका चरित्र हमें सिखाता है कि रिश्ते किस तरह बनाएं और बचाएं जाएं.
प्रख्यात जीवन प्रबंधन गुरू पं. विजयशंकर मेहता ने आज शाम रवींद्र नाट्यगृह में जीवन प्रबंधन समूह एवं महात्यौहार आयोजन समिति द्वारा रक्षाबंधन की पूर्व संध्या पर आयोजित व्याख्यान में उक्त प्रेरक और दिलचस्प बातें बताई. पं. मेहता के इस व्याख्यान का संस्कार टीवी चैनल पर सीधा प्रसारण भी किया गया जिसे भारत सहित 50 अन्य देशों में भी देखा और सुना गया.
महात्यौहार-एक शाम रिश्तों के नाम से आयोजित इस कार्यक्रम में देश-दुनिया के सवा करोड़ लोगों ने एक साथ, एक ही समय पर हनुमान चालीसा का महापाठ भी किया. शुरूआत में नरेश रणधर और उनके साथियों ने सुमधुर भजनों की प्रस्तुतियों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध बनाए रखा. इस अवसर पर आयोजन समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष पवन सिंघानिया ने स्वागत उद्बोधन दिया.
प्रारंभ में संयोजक कमल रामविलास राठी एवं राष्ट्रीय समन्वयक ओमप्रकाश पसारी, राजीव मुछाल, रामविलास राठी, रोहित सोमानी, कैलाश खंडेलवाल, सत्यनारायण गादिया आदि ने पं. मेहता का शहर के नागरिकों की ओर से सम्मान किया. संचालन श्रीमती सीमा मुछाल ने किया और आभार माना कमल राठी ने.
महिलाएं हुनमानजी को राखी अवश्य बांधे
इस मौके पर पं. मेहता ने महिलाओं से विशेष आग्रह किया कि वे रक्षाबंधन के दिन एक राखी हनुमानजी को अवश्य बांधे या चढ़ाएं. हनुमानजी स्त्री-पुरूष में कोई भेद नहीं रखते. वे सिर्फ भक्त की भावनाएं और नीयत देखते हैं. यह भ्रम हमें हमेशा के लिए निकालना पड़ेगा कि माता-बहनें हनुमानजी की पूजा नहीं कर सकती. शुद्धता का ध्यान रखते हुए उनकी पूजा कीजिए, परिणाम निश्चित और अदभुत मिलेंगे.
परिवार के केंद्र में हनुमान जी को रखें
पं. मेहता ने कहा कि दुर्लभ मनुष्य जीवन में समस्याएं तो आना ही है, इनसे कोई बच नहीं सकता. हनुमान चालीसा के माध्यम से यदि जीवन में हनुमानजी को उतार लिया जाए, तो उन समस्याओं के समाधान बहुत आसानी से प्राप्त हो जाते हैं. हनुमानजी थे तो ब्रम्हचारी, लेकिन परिवार, नाते-रिश्ते और दाम्पत्य की बारीकियों को बहुत अच्छे से समझते थे. किष्किंधा कांड में उन्होंने सुग्रीव से लेकर श्रीराम तक की समस्याओं का समाधान चुटकियों में कर दिया था. जीवन में रिश्तों का आनंद लेना हो तो परिवार के केंद्र में हनुमानजी को जरूर रखें.